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द्वारा विशेष पुराणोक्त व वेदोक्त विधि से पूज्य होती रहती है

इन अक्षरों से संबंधित दुर्गा की शक्तियां क्रमशः

सिंहिका गर्भ संभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।

से घिरे रहते हैं। उनका रूप बड़ा अजीब है। शरीर पर मसानों की भस्म, गले में सर्पों का

सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम।।

स्वयं महाकाल हैं, अत: विपरीत कालखंड की गति महामृत्युंजय साधना द्वारा नियंत्रित की जा सकती है। 

।।ॐ अर्धकायं महावीर्य चन्द्रादित्यविमर्दनम,

कमण्डलु धारण करती हैं। इनका वाहन हंस है तथा इनकी कुमारी अवस्था है। इनका यही स्वरूप ब्रह्मशक्ति गायत्री के नाम से get more info प्रसिद्ध है। इसका वर्णन ऋग्वेद

दुर्गा की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी से है, जिसकी पूजा दूसरे नवरात्रि को

।।ॐ भ्राँ भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।। यह मंत्र हर जगह प्रयोग की जाने वाली राहू बीज मंत्र की मुख्य मन्त्र है।

बुद्धि को आप ही प्रेरणा दें’ – “धियो यो नः प्रचोदयात्”

और 'बिन्दु' का अर्थ है दु:खनाशक। अर्थात् सरस्वती हमारे दु:ख को दूर करें।

प्रकट एवं गोपनीय शक्तियां समाई हैं। चामुण्डायै पद का एक अर्थ अज्ञान की सेना का नाश करने वाली महाशक्ति से भी है।

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